Breaking News
शालिनी सिंह पटेल ने बांदा से राष्ट्रपति को भेजा पत्र: ग्वालियर में अंबेडकर प्रतिमा स्थापना में अवरोध पर जताई चिंता, संविधान की रक्षा हेतु हस्तक्षेप की मांग

शालिनी सिंह पटेल ने बांदा से राष्ट्रपति को भेजा पत्र: ग्वालियर में अंबेडकर प्रतिमा स्थापना में अवरोध पर जताई चिंता, संविधान की रक्षा हेतु हस्तक्षेप की मांग

बांदा/, 24 मई।जनता दल (यूनाइटेड), उत्तर प्रदेश की प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना में आ रही बाधाओं को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस विषय पर भारत के महामहिम राष्ट्रपति को बांदा से एक विस्तृत पत्र रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से प्रेषित किया है, जिसमें उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए राष्ट्रपति से प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की मांग की है।पत्र में शालिनी सिंह पटेल ने लिखा है कि ग्वालियर स्थित उच्च न्यायालय परिसर में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना का प्रस्ताव केवल एक शिल्प कार्य नहीं है, बल्कि यह भारत के संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के प्रति आस्था का प्रतीक है

उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को लेकर कुछ असामाजिक और संविधान विरोधी तत्व लगातार व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है।उन्होंने पत्र के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति से तीन मुख्य मांगें की हैं:

1. मध्य प्रदेश सरकार को निर्देशित किया जाए कि अंबेडकर प्रतिमा की स्थापना शांतिपूर्वक एवं शीघ्र कराई जाए, जिससे संविधान के प्रति जनता की आस्था बनी रहे।

2. जो तत्व इस प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं, उनके विरुद्ध कठोर संवैधानिक कार्रवाई की जाए, ताकि समाज में गलत संदेश न जाए।

3. प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएं कि भविष्य में किसी भी महापुरुष की प्रतिमा की स्थापना में असंवैधानिक रुकावट न आने पाए।शालिनी सिंह पटेल ने पत्र में यह भी स्पष्ट किया कि वह इस विषय की प्रगति और कार्यवाही से अवगत रहना चाहती हैं, ताकि संविधान, सामाजिक न्याय और सार्वजनिक भावना की रक्षा के लिए उनके प्रयासों को उचित दिशा मिल सके। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक प्रतिमा स्थापना का नहीं, बल्कि संविधान की गरिमा और समावेशी समाज की भावना की रक्षा से जुड़ा है।पत्र में उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महामहिम राष्ट्रपति, जो स्वयं भारत के संविधान के संरक्षक हैं, उनका इस विषय में संवैधानिक हस्तक्षेप न केवल एक आवश्यक कदम होगा

, बल्कि यह संदेश देगा कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामाजिक न्याय सर्वोपरि है।ज्ञात हो कि ग्वालियर उच्च न्यायालय परिसर में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन हाल के दिनों में कुछ संगठनों और समूहों द्वारा इसका विरोध किए जाने की खबरें सामने आई हैं। यह मामला अब न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि देशभर में सामाजिक और राजनीतिक विमर्श का विषय बनता जा रहा है।शालिनी सिंह पटेल का यह कदम जन प्रतिनिधियों और नागरिक समाज के लिए एक उदाहरण बन सकता है कि किस प्रकार संवैधानिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए लोकतांत्रिक और विधिसम्मत मार्ग से संघर्ष किया जाना चाहिए।

Leave comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *.