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“बुंदेलखंड की प्राचीन परंपरा से सजा महामुलिया उत्सव – बच्चों के उल्लास का प्रतीक”बुंदेलखंड की सदियों पुरानी लोक परंपराओं को जीवंत करते हुए इन दिनों पूरे क्षेत्र में महामुलिया उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है।इस अनोखे उत्सव में छोटी-बड़ी लड़कियाँ फूलों से सजे झाकर लेकर तालाब और नदियों की ओर जाती हैं, रास्ते भर पारंपरिक गीत गाती हैं और अंत में इन झाकरों का जल में विसर्जन करती हैं।विसर्जन के बाद सभी लोग मिलकर प्रसाद ग्रहण करते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियाँ साझा करते हैं।यह उत्सव पूरे पितृपक्ष के 15 दिन चलता है। परंपरा के अनुसार पितृपक्ष के दौरान बड़े उत्सव नहीं मनाए जाते, लेकिन बच्चों को आनंद और खुशी का अनुभव कराने के लिए इस परंपरा की शुरुआत की गई थी।महामुलिया उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह बच्चों को संस्कृति से जोड़ने और उनके मनोरंजन का भी माध्यम है।इस आयोजन में स्थानीय समितियाँ और पुलिस प्रशासन भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं।बुंदेलखंड की यह प्राचीन परंपरा आज भी समाज में जीवित है और बच्चों की मुस्कान के साथ संस्कृति का संदेश देती है।

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